कादर खान को 2 जनवरी को कनाडा में ही सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। भले ही आज वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें अभी भी जेहन में ताज़ा हैं। उनके कई पुराने विडियोज और इंटरव्यू अभी भी इंटरनेट पर फैले हुए हैं। हाल ही में हमें कादर खान का एक ऐसा विडियो मिला, जिसमें कादर खान बता रहे हैं कि कैसे उन्हें फिल्में मिलना बंद हो गईं और कैसे अमिताभ बच्चन को 'अमित जी' न कहने की वजह से फिल्म से निकाल दिया गया।
इस विडियो में कादर खान कह रहे हैं, 'मैं अमिताभ बच्चन को अमित कहकर बुलाता था। तभी किसी प्रड्यूसर ने मुझसे आकर कहा कि आप सर जी को मिला? मैंने कहा कि कौन सर जी? इस पर वह बोला आप नहीं जानते? उसने अमिताभ की ओर इशारा कर कहा कि वह हमारे सर जी हैं। मैंने कहा कि वह तो अमित है। सभी ने तब से अमिताभ को सर जी, सर जी बोलना शुरू कर दिया, लेकिन मेरे मुंह से उनके लिए कभी अमित जी या सर जी नहीं निकला। बस यही न बोल पाने की वजह से मैं उनके ग्रुप से निकल गया।'
कादर खान आगे कहते हैं, 'क्या कोई अपने दोस्त या भाई को किसी और नाम से पुकार सकता है? नामुमकिन बात है ये। मैं नहीं कर सका ये (मैं उन्हें अमित जी नहीं कह सका) और इसीलिए मेरा उनसे वो राब्ता नहीं रहा। इसीलिए मैं उनकी फिल्म 'खुदा गवाह' में नहीं रहा। फिर उनकी फिल्म 'गंगा जमुना..' मैंने आधी लिखी और छोड़ दी। इसके बाद कुछ और फिल्में थीं, जिनपर मैंने काम करना शुरू किया था, लेकिन वे भी छोड़ दीं।'
एक समय पर कादर खान बॉलिवुड का चमकता सितारा थे, लेकिन जब पिछले कुछ दशकों से उन्होंने काम करना बंद कर दिया तो फिल्म इंडस्ट्री से किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली। इसका दुख उनके बेटे सरफराज के अलावा उनके को-स्टार रहे ऐक्टर शक्ति कपूर ने भी जाहिर किया था। शक्ति कपूर ने सवाल उठाया था कि आखिर कादर खान को अकेला क्यों छोड़ दिया गया? क्यों फिल्म इंडस्ट्री ने उनकी सुध नहीं ली?
इस साल के अंत में बॉलिवुड के दिग्गज ऐक्टर और लेखक कादर खान ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वह 81 साल के थे। हर कोई बॉलिवुड फिल्मों में उनकी ऐक्टिंग का फैन है। कोई मजाकिया सीन हो या फिर गंभीरता भरा, कादर खान ने हर रोल को पूरी तरह से जिया। आज हम आपको उनके लिखे वे सुपरहिट डायलॉग बता रहे हैं जिन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। देखिए... (All Pics from Yotube grab)
सुख तो बेवफा तवायफ की तरह है। जो आज इसके पास कल उसके पास। अगर इंसान दुख से दोस्ती कर ले तो फिर जिंदगी में कभी उसको सुख की तमन्ना ही नहीं रहेगी।
- जैसी करनी वैसी भरनी (1989)औरों के लिए गुनाह सही। हम पिएं तो शबाब बनती है। अरे सौ गमों को निचोड़ने के बाद एक कतरा शराब बनती है।
- नसीब (1997)जिंदा हैं वो लोग जो मौत से टकराते हैं। मुर्दों से बदतर हैं वो लोग जो मौत से घबराते हैं। - मुकद्दर का सिकंदर (1978)
हराम की दौलत इंसान को शुरू-शुरू में सुख जरूर देती है। मगर बाद में ले जाकर एक ऐसे दुख के सागर में ढकेल देती है जहां मरते दम तक सुख का किनारा कभी नजर नहीं आता।
- जैसी करनी वैसी भरनी (1989)जब जिंदगी की गाड़ी इश्क के पेट्रोल पर अटक जाए तो उस गाड़ी में थोड़ा सा शादी का पेट्रोल डाल देना चाहिए तो गाड़ी आगे बढ़ जाती है।
- आतिश (1994)कादर खान ने कई फिल्मों के डायलॉग लिखे। इनमें अमर अकबर एंथनी का यह डायलॉग काफी फेमस है।
अपन फेमस आदमी। बड़ा-बड़ा पेपर में अपनका छोटा-छोटा फोटो छपता है। लकी मैन। - अमर अकबर एंटनी (1977)हम का हैं मालूम। RDU यानी रिक्शा ड्राइवर यूनियन का लीडर हूं। इसके अलावा HGU मतलब हाथ गाड़ी की जो यूनियन है। उसका भी लीडर हूं। कोई मामूली आदमी नहीं हूं।
- कानून अपना अपना (1989 )
कितना फर्क है तुम में और मुझ में। तुम दुश्मन को ताने मारते हो और मैं दुश्मन को गोली मारता हूं।
- सपूत (1996)
बताया जाता है कि कादर खान के पास कोई पैसे की कमी नहीं थी। परिवार का भी साथ था, लेकिन जब वह बीमार पड़े तो फिल्म इंडस्ट्री से कोई उन्हें देखने नहीं पहुंचा और अंत समय तक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली। हालांकि कादर खान के निधन के बाद पूरी फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अमिताभ बच्चन ने भी ट्वीट के ज़रिए कादर खान को याद किया और शोक व्यक्त किया।
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