Saturday, July 7, 2018

'बियॉन्ड द क्लाउड्स' में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके ईशान खट्टर अब 'धड़क' के जरिए उन्हें बॉक्स ऑफिस पर साख कमानी है। उनकी फिल्म की चर्चा जोरों पर है। इस मुलाकात में वह अपनी फिल्म, शो मस्ट गो ऑन, हिरोइन जाह्नवी कपूर, भाई शाहिद कपूर और मां नीलिमा अजीम जैसे विभिन्न विषयों पर बातें कीं।

ईशान धड़क को लेकर दिल कितना धड़क रहा है?
हालांकि अपनी पहली फिल्म 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' में आप अपने अभिनय का हुनर तो दिखा ही चुके हैं।

बहुत जोर से धड़क रहा है दिल। लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं और मेरी कोशिश यही है कि मैं लोगों को निराश न करूं। हम सभी ने यह फिल्म दिल से बनाई है और हम सभी को लगता है कि यह एक स्पेशल फिल्म है। मैं आशा करता हूं कि दर्शकों को एक अच्छी फिल्म मिलेगी। इस फिल्म का हिस्सा बनकर मैं बहुत खुश हूं। बहुत ही प्यारे लोग जुड़े हैं इस फिल्म से। हमारे निर्देशक शशांक खेतान की एनर्जी इतनी कमाल की है कि वो हमेशा सेट पर सकारात्मक माहौल बनाए रखते हैं। उन्होंने सैराट की कहानी को अपने अंदाज से मांजा है। बियॉन्ड द क्लाउड्स में मुझे अपने अभिनय के लिए काफी तारीफें मिलीं, मगर मैं उसे आर्ट या पैरलल सिनेमा के रूप में नहीं देखता। मेरे लिए कहानी मायने रखती है।


आपके परिवार ने 'धड़क' देखी? ट्रेलर लॉन्च पर आपकी मां बहुत जज्बाती हो गई थीं।
नहीं, अभी तक किसी ने नहीं देखी। मैंने भी नहीं। मेरी मॉम 'धड़क' को लेकर बहुत एक्साइटेड हैं। भाई (शाहिद कपूर) को भी फिल्म के प्रदर्शन का बेसब्री से इंतजार है। लॉन्च पर ही मॉम ने पहली बार ट्रेलर देखा था और वह थोड़ी-सी हैरान हो गईं। 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' उन्होंने कई बार देखी थी और मेरे काम को लेकर वे आश्वस्त भी थीं, मगर 'धड़क' का ट्रेलर देखने के बाद वह हैरानी से मेरी ओर ताकते हुए बोलीं, 'तुम ऐसे रूप को भी साकार कर सकते हो मुझे पता नहीं था।' वे ट्रेलर लॉन्च पर बहुत खुश थीं और उन्हें यह 'सैराट' से काफी अलग लगा। उन्हें फिल्म से बहुत उम्मीदें हैं। आशा करता हूं कि वे निराश नहीं होंगी।

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भाभी मीरा के साथ आपका रिश्ता कैसा है? परंपरागत देवर-भाभी का या फिर दोस्तों जैसा?
मैं और मीरा तकरीबन एक ही उम्र के हैं, तो हमारी दोस्ती है, लेकिन दोस्ती मीशा (शाहिद-मीरा की बेटी) के आगमन के बाद ज्यादा बढ़ी है। हम दोनों ही उसके साथ वक्त बिताते हुए और करीब आए हैं। मैं मीशा से बहुत प्यार करता हूं। मुझे उसके साथ वक्त बिताना बहुत अच्छा लगता है। वह मेरे दिल में खास जगह रखती है। मैं जब भी मीशा के साथ होता हूं, तो मीरा के साथ भी बहुत बातें होती हैं। मीरा को 'धड़क' का प्रोमो बहुत पसंद आया है और उसे भी फिल्म की रिलीज का इंतजार है। मुझे लगता है कि मीरा को भाई से ज्यादा एक्साइटमेंट है फिल्म को लेकर।

'सैराट' जैसी सुपरहिट फिल्म के नायक को जीना कितना मुश्किल था?
बहुत मुश्किल था। असल में मेरे लिए अपनी पिछली फिल्म बियॉन्ड द क्लाउड्स का किरदार आमिर ज्यादा आसान था। आमिर मेरे ज्यादा करीब है। 'धड़क' का मधु एक छोटे शहर का लड़का है। उसकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। वह अपनी जिंदगी से बहुत खुश है। काफी मासूम है, यही वजह है कि वह पूरी तरह से प्यार में लट्टू हो जाता है। प्यार में पड़ने के बाद उसकी जिंदगी बदल जाती है। कहानी में एक मोड़ ऐसा आता है, जहां किरदार मच्योर हो जाता है। उसे निभाना बहुत ही मुश्किल था।

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सुना है कि इस किरदार के लुक और डायलेक्ट पर आपने बहुत मेहनत की?
वाकई हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ी। हमारे निर्देशक शशांक खेतान ने काफी रिसर्च और होमवर्क भी खूब किया। इसमें हमने मेवाड़ी डायलेक्ट का इस्तेमाल किया है। मैंने शशांक से पूछा था कि क्या हम सेट पर डिक्शन टीचर की मदद लेंगे, तो उन्होंने बताया कि वे उसे कठिन मेवाड़ी डायलेक्ट नहीं देना चाहते, वह तो बस उसे फ्लेवर से सजाना चाहते हैं। मैंने इस किरदार को जीते हुए अपनी तरफ से भी होमवर्क किया। शूटिंग की लोकेशन हंटिंग के दौरान मैं वहां रहनेवाले लोगों से मिला। मैंने उनको रीड किया। मैंने उदयपुर और जयपुर में वक्त बिताया। लुक तैयार करते हुए मैंने अपने बालों का रंग लाइट किया, क्योंकि मैंने देखा कि वहां के लोगों के बालों का रंग हल्का होता है। मैंने उस लुक को परफेक्ट करने के लिए कान भी छिदवाए और पहली बार कॉन्टेक्ट लेंस पहने।

इस फिल्म में काम करते हुए क्या कभी आपको शो मस्ट गो ऑन वाले हालात से गुजरना पड़ा?
कई बार। मैं यही कहना चाहूंगा कि अगर अभिनय में आने के बाद आपको अपने काम से मोहब्बत न हो या फिर आप उसे लेकर जुनूनी न हों, तो आपका पार लगना मुश्किल है। फिल्म के दौरान एनर्जी बहुत अच्छी थी। हम लोगों ने 44 दिनों में शूटिंग पूरी की। उदयपुर की शूटिंग तो मैं कभी भूल नहीं सकता। उदयपुर में दिसंबर की शूटिंग के दौरान बहुत ठंड थी। एक सीन में मुझे लेक पिचोला में छलांग मारनी थी। उस दिन तो ठंड के मारे मेरी हालत बहुत खराब हो गई। एक बार जब बाग वाले तालाब में मुझे 25-30 फीट की ऊंचाई से छलांग लगानी थी, उसमें हमने हार्नेस का इंतजाम नहीं किया था। उसमें चैलेंज यह था कि सामने सीढ़ियां थीं और पानी के अंदर भी सीढ़ियां फैली हुई थीं। उसमें चार फीट का रेडियस था। कूदते हुए अगर मैं थोड़ा भी आगे या पीछे होता, तो मेरा सिर फट सकता था, टांग टूट सकती थी। डरावनी बात यह है कि 80 फुट की गहराईवाले उस तालाब में 16 फीट लंबा सांप था। उसमें और भी कई मछलियां और सांप थे, मगर मैंने देखा कि वहां के स्थानीय लोग बेखौफ होकर तैर रहे हैं। उन्हें तैरते देख हिम्मत मिली। हमने कोशिश की कि सुरक्षा की दृष्टि से वहां नेट लगाया जा सके, मगर 80 फीट गहरे तालाब में आप नेट कैसे लगा सकते हैं, हमें चांस लेना पड़ा और फिर दो बार कूदने के बाद हम खूब तैरे।

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जाह्नवी मासूम हैं
जाह्नवी के साथ आपकी जोड़ी अच्छी लग रही है। वह कैसी को-स्टार साबित हुईं?
जाह्नवी बहुत मासूम हैं। वह अपने काम में डूब जाती हैं। सिनेमा से उन्हें गहरी मोहब्बत है। इस फिल्म में काम के प्रति उनका लगाव देखते बनता था। वह बेहद फनी हैं। सेट पर कई बार वह अनजाने में ऐसी चीजें कर बैठती हैं कि हम न चाहते हुए भी हंस-हंस कर लोटपोट हो जाते। एक शॉट को लेकर बहुत सोचना उनकी आदत है। शूटिंग के दौरान भी वह अपनी एक बैक स्टोरी लिखा करती थीं, तो जैसे 57 पेज की हमारी स्क्रिप्ट थी, मगर 60 पेज की उनकी बैक स्टोरी थी। शॉट के दौरान वह कई बार सीन में गुम हो जाया करती थीं। एक दृश्य में उन्हें मामूली-सा काम था। पूरा सीन उन्होंने बहुत ही शानदार ढंग से निभाया और आखिरी में उन्हें मुड़कर जाना था। शशांक ने उनसे कहा था कि सीन के आखिर में उन्हें दाईं तरफ मुड़कर जाना है, मगर वह बाईं तरफ मुड़ीं और ऐसा एक बार नहीं बल्कि बार-बार हुआ। उन्होंने इस टेक को ओके करने के लिए आठ रीटेक दिए। मैंने तो उनका खूब मजाक उड़ाया, मगर फिर उनके साथ भी इंसाफ हुआ। एक-डेढ़ महीने बाद जब हम फिल्म का सेकंड हाफ फिल्मा रहे थे, तो मेरे साथ भी यही गड़बड़ हुई। मैं भी कैमरे की तरफ जाने के बजाय अलग तरफ जा रहा था और मुझे भी 5-6 टेक करने पड़े। तब जाह्नवी मजे लेकर खूब हंसी। उन्होंने तो मेरी ऐसी-तैसी कर दी।

आपके हिस्से में अब तक दो सशक्त स्क्रिप्ट्स (बियॉन्ड द क्लाउड्स और धड़क) आईं हैं। भविष्य में आप स्क्रिप्ट्स चुनने में भाई शाहिद कपूर और अभिनेत्री मां नीलिमा अजीम की मदद लेंगे?
जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि अब तक स्क्रिप्ट्स को मैंने नहीं चुना बल्कि स्क्रिप्ट्स ने मुझे चुना है। फिल्म चुनने के आपके कई कारण हो सकते हैं। कई बार आप फिल्म इसलिए चुनते हैं कि आपको किसी खास निर्देशक के साथ काम करना होता है। कई बार कहानी आपको अपनी ओर खींचती है। इसमें कोई शक नहीं कि मेरे भाई शाहिद कपूर का कलाकार के रूप में अनुभव बहुत ही समृद्ध रहा है। मैं उनकी हर बात मानता हूं। उनकी सलाह मेरे लिए बहुत कीमती साबित होती है, लेकिन अपनी मॉम की बात मैं अपने दिल के करीब रखता हूं। मुझे लगता है कि उनका स्क्रिप्ट सेन्स बहुत अच्छा है। मैं उनसे सीखना चाहूंगा। मुझे मौका मिलेगा, तो मैं जरूर इन दोनों से ही अपनी स्क्रिप्ट की चर्चा करना चाहूंगा।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

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