Friday, July 13, 2018

नई दिल्ली
ऐथलेटिक्स ट्रैक इवेंट में देश को पहली बार गोल्ड दिलाकर इतिहास रचने वाली हिमा दास की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। 18 साल की हिमा ने महज दो साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था। उससे पहले उन्हें अच्छे जूते भी नसीब नहीं थे। असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हिमा के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था। परिवार में 6 बच्चों में सबसे छोटी हिमा पहले लड़कों के साथ पिता के धान के खेतों में फुटबॉल खेलती थीं।


स्थानीय कोच ने ऐथलेटिक्स में हाथ आजमाने की सलाह दी। पैसों की कमी ऐसी कि हिमा के पास अच्छे जूते तक नहीं थे। सस्ते स्पाइक्स पहनकर जब इंटर डिस्ट्रिक्ट की 100 और 200 मीटर रेस में हिमा ने गोल्ड जीता तो कोच निपुन दास भी हैरान रह गए। वह हिमा को गांव से 140 किमी दूर गुवाहाटी ले आए, जहां उन्हें इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के स्पाइक्स पहनने को मिले। इसके बाद हिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

गुरुवार को हिमा ने AIFF अंडर-20 वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। खास बात यह कि इस दौड़ के 35वें सेकंड तक हिमा टॉप थ्री में भी नहीं थीं, लेकिन बाद में ऐसी रफ्तार पकड़ी कि सभी को पीछे छोड़ दिया। जब राष्ट्रगान बजा तो हिना की आंखों से आंसू छलक पड़े।

देखें, हिमा ने ऐसे बनाया रेकॉर्ड

#HimaDas makes Indian history �� Did you miss, relive the moment again ⬇️ https://t.co/tAfoehbQi7

— PIB India (@PIB_India) 1531482185000


दो बीघा जमीन
हिमा का जन्म असम के नौगांव जिले के एक छोटे से गांव कांदुलिमारी के किसान परिवार में हुआ। पिता रंजीत दास के पास महज दो बीघा जमीन है जबकि मां जुनाली घरेलू महिला हैं। जमीन का यह छोटा-सा टुकड़ा ही दास परिवार के छह सदस्यों की रोजी-रोटी का जरिया है।

जीतकर यह बोलीं
'मैं अपने परिवार की हालत जानती हूं कि हमने किस तरह से संघर्ष किए हैं। लेकिन ईश्वर के पास सभी के लिए कुछ न कुछ होता है। मैं पॉजिटिव सोच रखती हूं और जिंदगी में आगे के बारे में सोचती हूं। मैं अपने माता-पिता और देश के लिए कुछ करना चाहती हूं। मेरा अब तक सफर एक सपने की तरह रहा है। मैं अब वर्ल्ड जूनियर चैंपियन हूं।'

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फिनलैंड में आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश के लिए इतिहास रचने वाली 18 साल की हिमा दास ने इन्हीं शब्दों के साथ अपनी खुशी बयां की। वह महिला और पुरुष दोनों ही वर्गों में ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय भी बन गई हैं। वह अब नीरज चोपड़ा के क्लब में शामिल हो गई हैं, जिन्होंने 2016 में पोलैंड में आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता था।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

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