Wednesday, May 30, 2018

टीम मालिकों को हार नहीं होती है बर्दाश्त: गौतम गंभीर

gautam gambhir tell why chennai super kings became champion and other frequencies has failed
नई दिल्ली
गौतम गंभीर जब इस सीजन दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ जुड़े और टीम के कप्तान बने तो उम्मीद जगी कि दिल्ली की टीम इस सीजन कुल अलग प्रदर्शन करके दिखाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। शुरुआती मुकाबलों में ही मिल रही लगातार हार के बाद गंभीर ने कप्तानी छोड़ दी, लेकिन टीम के प्रदर्शन में सुधार नहीं हुआ और आखिर में टीम पॉइंट्स टेबल में सबसे नीचे रही।


गौतम ने एक अखबार में लिखे अपने कॉलम में दिल्ली की टीम की हार और चेन्नै सुपरकिंग्स की सफलता की वजह बताई है। उनके अनुसार चेन्नै की टीम आईपीएल में लगातार अच्छा करती है क्योंकि टीम के क्रिकेटिंग फैसलों में मालिकान की नहीं चलती। वहां हर फैसला सिर्फ धोनी लेते हैं, जबकि अन्य टीमों के साथ ऐसा नहीं है। उनके फैसलों में मालिकों का हस्तक्षेप ज्यादा होता है।

गौती ने लिखा, ‘फ्रेंचाइजी क्रिकेट की दुनिया में बहुत कुछ चलता है। यह एक महंगा बिजनेस है, जहां फ्रेंचाइजी फीस, प्लेयर्स और सपोर्ट स्टाफ की सैलरी, ट्रैवल और ठहरने का किराया जैसे कई खर्च होते हैं। एक और चीज है जो किसी भी बैलंस शीट में नजर नहीं आती। वह है ईगो (अहं)। ज्यादातर फ्रेंचाइजी मालिक आईपीएल के बाहर अपने-अपने क्षेत्र के सफल लोग हैं। क्रिकेटर्स की ही तरह उन्हें भी हार से नफरत है। लेकिन जहां क्रिकेटर्स हार को खेल भावना के तहत लेते हैं, वहीं टीम मालिक इस मामले में निर्मम होते हैं, क्योंकि वे हर चीज को रिटर्न ऑन इनवेस्टमेंट (निवेश पर रिटर्न) के पैमाने से देखते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘जो हालात हैं, उसे देखते हुए ऑन-फील्ड मैटर में हस्तक्षेप पर मालिक को दोषी करार देंगे? लेकिन चेन्नै की कहानी एकदम अलग है। एमएस धोनी वहां इकलौते बॉस हैं। मैं धोनी से ही सुना है कि वहां क्रिकेटिंग फैसलों में कॉरपोरेट का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।’
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

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