Saturday, May 26, 2018

बूढ़ों की फौज नहीं है ‘थलाइवा’ एमएस धोनी की 'चैंपियन' चेन्नै सुपर किंग्स

ipl 2018: not exactly dad
नई दिल्ली
भारत की विश्व चैंपियनशिप जीत पर सुनील गावसकर की 1985 की किताब ‘वन-डे वंडर्स ’ में एक रोचक घटना का जिक्र है, जिसमें गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ और मदन लाल सभी 30 वर्ष से ऊपर के थे और आपस में एक दूसरे को ‘ओटी’ कहकर बुलाते थे। ऑस्ट्रेलिया में टूर्नमेंट के दौरान इन तीनों में से कोई भी जब अच्छा कैच लपका या चुस्त फील्डिंग करता तो बाकी आकर कहते- ‘वेल डन ओटी।’ ओटी यानी ‘ओवर थर्टी’ यानी 30 बरस से अधिक उम्र के खिलाड़ी।

उस प्रदर्शन ने साबित कर दिया था कि उम्र महज एक आंकड़ा है और उसी की याद दिलाई है महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नै सुपर किंग्स ने जो तीसरे आईपीएल खिताब से एक जीत दूर है। धोनी की टीम अनुभवी खिलाड़ियों की ऐसी फौज बनकर उभरी है, जिसके किले को भेदना हर विरोधी टीम के लिए टेढ़ी खीर साबित हुआ है। इस टीम में कई खिलाड़ियों की औसत उम्र 30 वर्ष के पार है।

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स्टार खिलाड़ी 30 के पार
खुद धोनी 36 बरस के हैं, जबकि अंबाती रायुडू 32, सुरेश रैना 31, शेन वाटसन और हरभजन सिंह 37 वर्ष के हैं। शुरुआत में सभी ने इसे ‘बूढ़ों की फौज’ कहकर खारिज कर दिया था। दो साल के प्रतिबंध के बाद वापसी करने वाली चेन्नै की सफलता का आखिर राज क्या है? इसमें कोई शक नहीं कि धोनी के चतुर क्रिकेटिया दिमाग को इसका श्रेय जाता है।

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चेन्नै ने आधी जंग तो नीलामी के दौरान ही जीत ली थी, जब उसने अनुभव पर दाव लगाया। रायुडू (586) ऑरेंज कैप धारी केन विलियमसन से 100 रन पीछे हैं। वहीं शार्दूल ठाकुर 15 विकेट ले चुके हैं। करियर के आखिरी पड़ाव पर पहुंचे धोनी ने 15 मैचों में 455 रन बनाए हैं, जिसमें 30 छक्के शामिल है। धोनी का यह 8वां फाइनल और बतौर कप्तान 7वां खिताबी मुकाबला होगा। चेन्नै के इस ‘थलाइवा’ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अनुभव का कोई सानी नहीं।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

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