बॉलिवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान को देश-विदेश से अनेक सम्मान मिले हैं। शाहरुख के अलावा कई बॉलिवुड कलाकारों को देश ही नहीं बल्कि विदेशों के संस्थानों और यूनिवर्सिटीज ने सम्मानित किया है। ऐसी तरह देश की प्रतिष्ठित जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी भी शाहरुख को सम्मानित करना चाहती थी।
एक हालिया रिपोर्ट की मानें तो जामिया ने शाहरुख को डॉक्टरेट की मानद उपाधि देने के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय से इजाजत मांगी थी। कहा जा रहा है कि सरकार ने जामिया मिलिया इस्लामिया की इस रिक्वेस्ट को ठुकरा दिया था। बता दें कि शाहरुख खान पूर्व में जामिया मिलिया इस्लामिया के स्टूडेंट भी रह चुके हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार ने जामिया की इस रिक्वेस्ट को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि शाहरुख को ठीक ऐसी ही मानद उपाधि मौलाना आजाद नैशनल उर्दू यूनिवर्सिटी ने भी दी है। हालांकि इस मामले में कोई ऐसा नियम नहीं है कि किसी व्यक्ति को एक से अधिक यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि नहीं दी जा सकती।
गौरतलब है कि शाहरुख खान जामिया मिलिया इस्लामिया के ए जे किदवई मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर में 1988-90 के दौरान मीडिया के छात्र रहे थे। हालांकि शाहरुख अपनी मास्टर्स की डिग्री पूरी नहीं कर पाए थे क्योंकि उस समय तक शाहरुख ऐक्टिंग में सक्रिय हो चुके थे और कम अटेंडेंस के कारण फाइनल एग्जाम में शामिल नहीं हो सके थे।
एक हालिया रिपोर्ट की मानें तो जामिया ने शाहरुख को डॉक्टरेट की मानद उपाधि देने के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय से इजाजत मांगी थी। कहा जा रहा है कि सरकार ने जामिया मिलिया इस्लामिया की इस रिक्वेस्ट को ठुकरा दिया था। बता दें कि शाहरुख खान पूर्व में जामिया मिलिया इस्लामिया के स्टूडेंट भी रह चुके हैं।
रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार ने जामिया की इस रिक्वेस्ट को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि शाहरुख को ठीक ऐसी ही मानद उपाधि मौलाना आजाद नैशनल उर्दू यूनिवर्सिटी ने भी दी है। हालांकि इस मामले में कोई ऐसा नियम नहीं है कि किसी व्यक्ति को एक से अधिक यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि नहीं दी जा सकती।
गौरतलब है कि शाहरुख खान जामिया मिलिया इस्लामिया के ए जे किदवई मास कम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर में 1988-90 के दौरान मीडिया के छात्र रहे थे। हालांकि शाहरुख अपनी मास्टर्स की डिग्री पूरी नहीं कर पाए थे क्योंकि उस समय तक शाहरुख ऐक्टिंग में सक्रिय हो चुके थे और कम अटेंडेंस के कारण फाइनल एग्जाम में शामिल नहीं हो सके थे।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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