नई दिल्ली
फीफा वर्ल्ड कप जीतने के लिए टीम और उसके खिलाड़ी किस हद तक गुजर जाते हैं, इसका अंदाज उन्हें बाद में पता चलता है। मैदान पर की गई गलती उन्हें हीरो से विलन बनाने में रत्ती भर की देर नहीं लगाती है। जिनेदिन जिदान हों या डिएगो मैराडोना, जब भी इनके नाम की चर्चा होती है, विवाद महानता को कम कर देती है। आइए जानें फीफा वर्ल्ड कप इतिहास के 5 चुनिंदा विवादों के बारे में...
1962: दोनों टीमों में चले लात-घूसे
अब जिसकी चर्चा हम करने जा रहे हैं, वह फीफा इतिहास की सबसे हिंसक घटनाओं में से एक है। 1962 विश्व कप में 2 जून को मेजबान चिली और इटली के बीच मैच गया मुकाबला 'सैंटियागो की लड़ाई' (चिली के सैंटियागो में खेला गया मैच) के नाम से जाना जाता है, क्योंकि मुकाबले के दौरान दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच जमकर मारपीट हुई थी। मैच के दौरान रेफरी केन एस्टन ने दो खिलाड़ियों को मैदान के बाहर भेज दिया था, जिनकी वजह से ही पीले और लाल कार्ड की शुरुआत हुई।
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1938: फासीवाद वाला सैल्यूट
यह विवादों की लिस्ट में सबसे पुराना मामला है। दूसरे विश्व युद्ध से दो साल पहले का यह मामला है। फ्रांस की मेजाबनी में 4 जून से 19 जून 1938 तक खेले गए इस टूर्नमेंट में इटली और फ्रांस के बीच 12 जून को क्वॉर्टर फाइनल मुकाबला खेला गया। तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के कहने पर इटली की टीम ने सफेद के बजाय काली शर्ट पहनी थी। यही नहीं, पूरी टीम ने मैच शुरू होने से पहले फासी वाला सैल्यूट करके हड़कंप मचा दिया। यह मैच इटली ने 3-1 से जीता था और फिर आगे चकलर चैंपियन बना, लेकिन उसके चैंपियन बनने से ज्यादा चर्चा उसके सैल्यूट की होती है।
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1986 डिएगो मैराडोना का हैंड ऑफ गॉड
अर्जेंटीना के डिएगो मैराडोना के हैंड ऑफ गॉड को भला कौन भूल सकता है। यह विवाद 22 जून, 1986 को इंग्लैंड और अर्जेंटीना के बीच हुए मुकाबले के दौरान हुआ। इस मैच में अर्जेंटीना के डिएगो मैराडोना ने दो गोल दागकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। उनका पहला गोल हाथ से किया गया था, जिसे रेफरी देख नहीं पाए थे। मैच के 51 मिनट में साथी खिलाड़ी से मिले पास को मैराडोना ने गोल में तब्दील किया। इंग्लिश खिलाड़ियों ने फाउल की अपील की, लेकिन रेफरी ने इसे स्वीकार नहीं किया और अर्जेंटीना के खाते में गोल दर्ज हो गया। बाद में मैराडोना ने कहा कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया था और उसे हैंड ऑफ गॉड करार दिया, जबकि हार से भड़की इंग्लिश मीडिया ने इसे हैंड ऑफ डेविल कहा था।
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2006: जिनेदिन जिदान का हेडबट
महान फुटबॉलर जिनेदिन जिदान के करियर पर लगा इकलौता दाग, जिसे वह चाहकर भी अब नहीं धो सकते। 9 जुलाई, 2006 को इटली और फ्रांस के बीच मैच खेला गया। इटली के खिलाफ फाइनल में जिदान ने टीम को शुरुआती बढ़त दिलाई। इटली के लिए मार्को मातेराजी ने 19वें मिनट में बराबरी का गोल दागा। मैच पेनल्टी शूटआउट की तरफ बढ़ता दिख रहा था। अतिरिक्त समय में कुछ ही पल बाकी थे। इसी दौरान मातेराजी ने कुछ ऐसा कहा, जिससे जिदान भड़क गए और उन्हें सिर से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि इटली के मार्को मातेराजी मैदान में गिर पड़े। इसके बाद रेफरी ने जिदान को लाल कार्ड दिखाकर मैदान से बाहर कर दिया। फ्रांस की टीम यह मुकाबला 3-5 से हार गई। यह जिदान के इंटरनेशनल करियर का आखिरी मैच भी था। जिदान ने संन्यास ले लिया था, लेकिन कोच रेमंड डोमेनेक के कहने पर जर्मनी में 2006 में वापसी की थी।
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2014: लुइस सुआरेज ने दांत से काटा
विवादों की लिस्ट में दांत से काटना भी शामिल है। यह काम किया है उरुग्वे के स्टार स्ट्राइकर लुइस सुआरेज। ब्राजील वर्ल्ड कप में इटली और उरुग्वे के बीच 24 जून, 2014 को ग्रुप मैच खेला जा रहा था। मैच के 79वें मिनट में लुइस सुआरेज का इटली के डिफेंडर जिर्योजियो चिलिनी से विवाद हो गया। देखते ही देखते बात इतनी बढ़ गई कि गुस्से में सुआरेज ने विरोधी खिलाड़ी के कंधे पर काट लिया। चिलिनी के दिखाने के बावजूद रेफरी मार्को रॉड्रिग्ज ने ध्यान नहीं दिया और इटली को सिर्फ फ्री किक का मौका दिया। इटली यह मैच 1-0 से हारकर टूर्नमेंट से बाहर हो गई थी। बाद में सुआरेज पर कार्रवाई की गई। उन्हें फुटबॉल संबंधित गतिविधियों से चार महीने के लिए निलंबित किया गया। इसके अलावा भारी जुर्माने के साथ उन पर 9 अंतरराष्ट्रीय मैच का प्रतिबंध भी लगाया गया।
फीफा वर्ल्ड कप जीतने के लिए टीम और उसके खिलाड़ी किस हद तक गुजर जाते हैं, इसका अंदाज उन्हें बाद में पता चलता है। मैदान पर की गई गलती उन्हें हीरो से विलन बनाने में रत्ती भर की देर नहीं लगाती है। जिनेदिन जिदान हों या डिएगो मैराडोना, जब भी इनके नाम की चर्चा होती है, विवाद महानता को कम कर देती है। आइए जानें फीफा वर्ल्ड कप इतिहास के 5 चुनिंदा विवादों के बारे में...
1962: दोनों टीमों में चले लात-घूसे
अब जिसकी चर्चा हम करने जा रहे हैं, वह फीफा इतिहास की सबसे हिंसक घटनाओं में से एक है। 1962 विश्व कप में 2 जून को मेजबान चिली और इटली के बीच मैच गया मुकाबला 'सैंटियागो की लड़ाई' (चिली के सैंटियागो में खेला गया मैच) के नाम से जाना जाता है, क्योंकि मुकाबले के दौरान दोनों टीमों के खिलाड़ियों के बीच जमकर मारपीट हुई थी। मैच के दौरान रेफरी केन एस्टन ने दो खिलाड़ियों को मैदान के बाहर भेज दिया था, जिनकी वजह से ही पीले और लाल कार्ड की शुरुआत हुई।
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1938: फासीवाद वाला सैल्यूट
यह विवादों की लिस्ट में सबसे पुराना मामला है। दूसरे विश्व युद्ध से दो साल पहले का यह मामला है। फ्रांस की मेजाबनी में 4 जून से 19 जून 1938 तक खेले गए इस टूर्नमेंट में इटली और फ्रांस के बीच 12 जून को क्वॉर्टर फाइनल मुकाबला खेला गया। तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी के कहने पर इटली की टीम ने सफेद के बजाय काली शर्ट पहनी थी। यही नहीं, पूरी टीम ने मैच शुरू होने से पहले फासी वाला सैल्यूट करके हड़कंप मचा दिया। यह मैच इटली ने 3-1 से जीता था और फिर आगे चकलर चैंपियन बना, लेकिन उसके चैंपियन बनने से ज्यादा चर्चा उसके सैल्यूट की होती है।
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1986 डिएगो मैराडोना का हैंड ऑफ गॉड
अर्जेंटीना के डिएगो मैराडोना के हैंड ऑफ गॉड को भला कौन भूल सकता है। यह विवाद 22 जून, 1986 को इंग्लैंड और अर्जेंटीना के बीच हुए मुकाबले के दौरान हुआ। इस मैच में अर्जेंटीना के डिएगो मैराडोना ने दो गोल दागकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। उनका पहला गोल हाथ से किया गया था, जिसे रेफरी देख नहीं पाए थे। मैच के 51 मिनट में साथी खिलाड़ी से मिले पास को मैराडोना ने गोल में तब्दील किया। इंग्लिश खिलाड़ियों ने फाउल की अपील की, लेकिन रेफरी ने इसे स्वीकार नहीं किया और अर्जेंटीना के खाते में गोल दर्ज हो गया। बाद में मैराडोना ने कहा कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया था और उसे हैंड ऑफ गॉड करार दिया, जबकि हार से भड़की इंग्लिश मीडिया ने इसे हैंड ऑफ डेविल कहा था।
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2006: जिनेदिन जिदान का हेडबट
महान फुटबॉलर जिनेदिन जिदान के करियर पर लगा इकलौता दाग, जिसे वह चाहकर भी अब नहीं धो सकते। 9 जुलाई, 2006 को इटली और फ्रांस के बीच मैच खेला गया। इटली के खिलाफ फाइनल में जिदान ने टीम को शुरुआती बढ़त दिलाई। इटली के लिए मार्को मातेराजी ने 19वें मिनट में बराबरी का गोल दागा। मैच पेनल्टी शूटआउट की तरफ बढ़ता दिख रहा था। अतिरिक्त समय में कुछ ही पल बाकी थे। इसी दौरान मातेराजी ने कुछ ऐसा कहा, जिससे जिदान भड़क गए और उन्हें सिर से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि इटली के मार्को मातेराजी मैदान में गिर पड़े। इसके बाद रेफरी ने जिदान को लाल कार्ड दिखाकर मैदान से बाहर कर दिया। फ्रांस की टीम यह मुकाबला 3-5 से हार गई। यह जिदान के इंटरनेशनल करियर का आखिरी मैच भी था। जिदान ने संन्यास ले लिया था, लेकिन कोच रेमंड डोमेनेक के कहने पर जर्मनी में 2006 में वापसी की थी।
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2014: लुइस सुआरेज ने दांत से काटा
विवादों की लिस्ट में दांत से काटना भी शामिल है। यह काम किया है उरुग्वे के स्टार स्ट्राइकर लुइस सुआरेज। ब्राजील वर्ल्ड कप में इटली और उरुग्वे के बीच 24 जून, 2014 को ग्रुप मैच खेला जा रहा था। मैच के 79वें मिनट में लुइस सुआरेज का इटली के डिफेंडर जिर्योजियो चिलिनी से विवाद हो गया। देखते ही देखते बात इतनी बढ़ गई कि गुस्से में सुआरेज ने विरोधी खिलाड़ी के कंधे पर काट लिया। चिलिनी के दिखाने के बावजूद रेफरी मार्को रॉड्रिग्ज ने ध्यान नहीं दिया और इटली को सिर्फ फ्री किक का मौका दिया। इटली यह मैच 1-0 से हारकर टूर्नमेंट से बाहर हो गई थी। बाद में सुआरेज पर कार्रवाई की गई। उन्हें फुटबॉल संबंधित गतिविधियों से चार महीने के लिए निलंबित किया गया। इसके अलावा भारी जुर्माने के साथ उन पर 9 अंतरराष्ट्रीय मैच का प्रतिबंध भी लगाया गया।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com
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