Thursday, May 24, 2018

चाहे कोई इंसान अपनी जिंदगी में कहीं भी पहुंच जाए, लेकिन उसके जेहन में बचपन की कुछ ऐसी यादें जरूर होती हैं, जो उसे हमेशा याद रहती हैं। कुछ बुरी यादें इंसान को हमेशा परेशान करती हैं, तो कुछ अच्छी यादें उसे हमेशा खुशनुमा एहसास कराती हैं। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कहानी 'काबुलीवाला' पर बेस्ड ' बायोस्कोपवाला ' इसका मॉडर्न अडॉप्टेशन है। फिल्म के डायरेक्टर देब मधेकर का कहना है कि उन्होंने आज के दौर का काबुलीवाला बनाने की कोशिश की है। फिल्म में फैशन स्टाइलिस्ट मिनी बासु (गीतांजलि थापा) अपने पापा रोबी बासु (आदिल हुसैन) के साथ कोलकाता में रहती है, जो कि जाने-माने फैशन फटॉग्रफर हैं। बाप-बेटी के बीच संबंध कोई बहुत अच्छे नहीं हैं। एक दिन रोबी की कोलकाता से काबुल जाने वाले एक हवाई जहाज की दुर्घटना में मौत हो जाती है। मिनी पिता की मृत्यु से संबंधित औपचारिकताएं पूरी कर ही रही थी कि घरेलू नौकर भोला (ब्रिजेंद्र काला) उसे घर आए नए मेहमान रहमत खान (डैनी डेन्जोंगपा) से मिलवाता है। मिनी को पता लगता है कि उसके स्वर्गीय पापा ने हत्या के मुकदमे में जेल में बंद रहमत को कोशिश करके जल्दी छुड़वाया है।

शुरुआत में मिनी भोला को तुरंत घर से बाहर कर देने के लिए कहती है, लेकिन अपने पापा के रूम को खंगालते वक्त मिनी को पता लगता है कि यह रहमत और कोई नहीं, बल्कि वह उसके बचपन में उनके घर आने वाला बायोस्कोपवाला ही है, जिसकी सुनहरी यादें अभी भी उसके जेहन में ताजा हैं। और तो और एक बार तो रहमत ने अपनी जान पर खेलकर मिनी की जान भी बचाई थी। दरअसल, वह मिनी में अपनी पांच साल की बेटी की झलक देखता था, जिसे कि वह मुश्किल दिनों में अफगानिस्तान छोड़ आया था। रहमत के रूप में अचानक अपने बचपन की यादों का पिटारा खुल जाने से उत्साहित मिनी कोलकाता में तमाम लोगों से मिलकर उसके जेल जाने से की सच्चाई का पता लगाती है और उसके खोए परिवार को तलाशने अफगानिस्तान भी जाती है। आखिरकार क्या है रहमत की सच्चाई? क्या वह निर्दोष है? और क्या मिनी रहमत को उसके परिवार को मिलवा पाने में कामयाब हो पाती है? बहरहाल, इन सवालों का जवाब तो आपको थिएटर में जाकर ही मिल जाएगा।

अर्से बाद बड़े पर्दे पर नजर आए डैनी डेन्जोंगपा ने बेहतरीन ऐक्टिंग से दिखा दिया है कि उनमें अभी काफी दम बाकी है। बड़े पर्दे पर डैनी का खूबसूरत अवतार देखकर एक बार को आपको रश्क हो सकता है कि बॉलिवुडवालों ने अभी तक डैनी को सिर्फ नेगेटिव रोल ही क्यों दिए। वहीं नैशनल अवॉर्ड विनर गीतांजलि थापा ने मिनी के रोल को खूबसूरती से जिया है। आदिल हुसैन हमेशा की तरह पर्दे पर लाजवाब लगे हैं। वहीं ब्रिजेंद्र काला ने भी बढ़िया ऐक्टिंग की है। विज्ञापन की दुनिया से फिल्मों की दुनिया में आए देब मधेकर की यह बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म है। फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले भी उन्होंने खुद लिखा है। वहीं फिल्म की सिनेमटॉग्रफी भी कमाल है। बड़े पर्दे पर बीते दौर का कोलकाता और अफगानिस्तान दोनों ही खूबसूरत लगते हैं। बढ़िया एडिटिंग के दम पर फिल्म महज डेढ़ घंटे में सिमट गई है। वहीं फिल्म का संगीत भी आपको लुभाता है। आजकल फिल्मों की भागदौड़ में राहत देने वाला लीक से हटकर सिनेमा देखना चाहते हैं, तो बायोस्कोपवाला आपके लिए ही है।
Source : navbharattimes[dot]indiatimes[dot]com

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